*कहना ज़रूर...*
कभी जो आये मन में कोई बात,
उसे कहना ज़रूर ,
न करना वक्त का इंतज़ार
न होना मगरूर ।
उसे कहना ज़रूर ,
न करना वक्त का इंतज़ार
न होना मगरूर ।
जब पिता का किया कुछ
दिल को छू जाये,
तो जाकर गले उनके
लगना ज़रूर।
कभी जो आये मन में कोई बात,
उसे कहना ज़रूर ।
दिल को छू जाये,
तो जाकर गले उनके
लगना ज़रूर।
कभी जो आये मन में कोई बात,
उसे कहना ज़रूर ।
बनाये जब माँ कुछ तुम्हारे मन का,
कांपते हाथों को
चूम लेना ज़रूर।
कभी जो आये मन में कोई बात,
उसे कहना ज़रूर ।
कांपते हाथों को
चूम लेना ज़रूर।
कभी जो आये मन में कोई बात,
उसे कहना ज़रूर ।
जब अस्त व्यस्त होके बीबी
भूल कर खुद को ,
घर संवारती नज़र आये,
तो धीरे से उसके कानों में
"बहुत खूबसूरत हो "कहना ज़रूर,
कभी जो आये मन में कोई बात ,
उसे कहना ज़रूर ।
भूल कर खुद को ,
घर संवारती नज़र आये,
तो धीरे से उसके कानों में
"बहुत खूबसूरत हो "कहना ज़रूर,
कभी जो आये मन में कोई बात ,
उसे कहना ज़रूर ।
आये जूझ कर दुनिया से
हमसफर जब भी,
सुकून भरे कुछ पल साथ
गुजारना ज़रूर ।
कभी जो आये मन में कोई बात,
उसे कहना ज़रूर ।
हमसफर जब भी,
सुकून भरे कुछ पल साथ
गुजारना ज़रूर ।
कभी जो आये मन में कोई बात,
उसे कहना ज़रूर ।
बच्चों को लगा कर गले
जब तब ,
व्यस्त हूँ पर दूर नहीं इक पल भी,
ये बतलाना ज़रूर ।
कभी जो आये मन में कोई बात,
उसे कहना ज़रूर ।
जब तब ,
व्यस्त हूँ पर दूर नहीं इक पल भी,
ये बतलाना ज़रूर ।
कभी जो आये मन में कोई बात,
उसे कहना ज़रूर ।
जड़ें कितनी भी गहरी हों
रिश्तों की सीने में ,
पनपते रहने की खातिर वक्त बे वक्त ,
इज़हार की बौछार करना ज़रूर,
कभी जो आये .......।
रिश्तों की सीने में ,
पनपते रहने की खातिर वक्त बे वक्त ,
इज़हार की बौछार करना ज़रूर,
कभी जो आये .......।
नहीं भरोसा वक्त का,
साथ किसी का कब छूट जाये,
कोई अपना न जाने कब रूठ जाये,
तबादला हो जाये दिल या दुनिया से किसी का,
उससे पहले दिल की बात
पहुंचाना ज़रूर ।
साथ किसी का कब छूट जाये,
कोई अपना न जाने कब रूठ जाये,
तबादला हो जाये दिल या दुनिया से किसी का,
उससे पहले दिल की बात
पहुंचाना ज़रूर ।
न करना वक्त का इंतज़ार
न होना मगरूर,
कभी जो आये मन में
कोई बात,
उसे कहना ज़रूर
न होना मगरूर,
कभी जो आये मन में
कोई बात,
उसे कहना ज़रूर
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